रात दिन राह चलना जरा सीख लें ।
आँसुओं से बहलना जरा सीख लें।।
हो घनेरी निशा भी तो कुछ गम नहीं
दीप बन कर के जलना जरा सीख लें।।
दिन लुटाता रहे नित्य मुस्कान पर
रात अश्क़ों में ढलना जरा सीख लें।।
व्यूह कितने ही रचता रहे विश्व पर
मुश्किलों से निकलना जरा सीख लें।।
दूसरों के लिये ज़िन्दगी दें लुटा
शम्मा जैसा पिघलना जरा सीख लें।।
व्यर्थ करते रहें क्यों गिला उम्र भर
अपनी किस्मत बदलना जरा सीख लें।।
लक्ष्य बन कर हिमालय खड़ा सामने
क्यूँ न गिर कर सँभलना जरा सीख लें।।