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रात बनि ठनि केॅ ठगै छै हमरा / सियाराम प्रहरी

रात बनि ठनि केॅ ठगै छै हमरा
रूप नागिन सन लगै छै हमरा

आदमी खून के ही प्यासल छै
हास क्रन्दन सन लगै छै हमरा

राह चलते यहाँ राही लूटै
दोस्त रहजन सन लगै छै हमरा

है कदर जीना भला की जीना
जान उलझन सन लगै छै हमरा

तों एन्होॅ बेनकाब करने छोॅ
लाज दरपन से लगै छै हमरा।