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राम चरण चित्त लगी / शिवदीन राम जोशी
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16:46, 13 जनवरी 2012
<poem>
राम चरण चित लागी, सुरता राम चरण चित लागी।
लागत ही सब पाप साफ
,
बहे
,
दुर्मति दिल से भागी।
प्रेम प्रवाह बह्यो घट भीतर, ज्योती उर में जागी।
मानस पट से तामस हटकर, राजस की सुध त्यागी।
Kailash Pareek
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