राम नाम की ओट लिये, करते छल, छलियां,
तिलक छाप की ओट लिये फिरते दिल जलियां।
देते है ताबीज दुनी को ठगते रहते,
मनमाने यह दुष्ट हमेशा बकते रहते।
जटा जूट शिर पर बढ़ा बने सिद्ध महाराज,
शिवदीन इन्हे आती नहीं तनिक जरासी लाज।
राम गुण गायरे।
राम नाम की ओट लिये, करते छल, छलियां,
तिलक छाप की ओट लिये फिरते दिल जलियां।
देते है ताबीज दुनी को ठगते रहते,
मनमाने यह दुष्ट हमेशा बकते रहते।
जटा जूट शिर पर बढ़ा बने सिद्ध महाराज,
शिवदीन इन्हे आती नहीं तनिक जरासी लाज।
राम गुण गायरे।