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राम / इक़बाल

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लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द<ref> हिन्द का प्याला सत्य की मदिरा से छलक रहा है </ref>

सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द<ref> पूरब के महान चिंतक हिन्द के राम हैं </ref>

ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक<ref>महान चिंतन </ref> उसका है असर,

रिफ़अत<ref>ऊँचाई </ref> में आस्माँ से भी ऊँचा है बामे-हिन्द<ref>हिन्दी का गौरव या ज्ञान </ref>

इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक<ref>देवता</ref> सरिश्त<ref>ऊँचे आसन पर </ref> ,

मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द

है राम के वजूद<ref>अस्तित्व </ref> पे हिन्दोस्ताँ को नाज़,

अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द

एजाज़ <ref>चमत्कार </ref> इस चिराग़े-हिदायत<ref>ज्ञान का दीपक </ref> , का है यही

रोशन तिराज़ सहर<ref>भरपूर रोशनी वाला सवेरा </ref> ज़माने में शामे-हिन्द

तलवार का धनी था, शुजाअत<ref>वीरता </ref> में फ़र्द<ref>एकमात्र </ref> था,

पाकीज़गी<ref> पवित्रता </ref> में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था

शब्दार्थ
<references/>