भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रावण-2 / शुभेश कर्ण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभेश कर्ण |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> सहस्रों मुख से सह…)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:37, 4 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

सहस्रों मुख से सहस्रों बातें
सहस्रों लोगों के समक्ष
वह एक साथ प्रकट करता है

सहस्रों लोग सहस्रों बातें सुनकर
भ्रम में पड़ जाते हैं

लोग समझ नहीं पाते हैं
सच क्या है और झूठ क्या

सच और झूठ में बझे हुए लोग
फिर उसके ही बढ़ाए हुए तर्क को
और बढ़ाने लगते हैं
इस तरह वह हर दृश्य से दूर
स्वयं को लोकतांत्रिक पद्धति से
बनाए रखता है ।