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राष्ट्रिय चरित्र / केदारमान व्यथित

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स्वार्थ मात्र पूरा हुने भए
एकले दोस्राको पिठयूँमा
छुरा घस्न
आपसमै तँछाड-मछाड गरिरहने
राष्ट्रिय चरित्र हाम्रो
अत्यन्त उदात्त छ ।