Last modified on 8 नवम्बर 2015, at 19:40

राहों से जितने प्यार से, मंज़िल ने बात की / कुँअर बेचैन

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:40, 8 नवम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुँअर बेचैन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

राहों से जितने प्यार से, मंज़िल ने बात की,
यूं दिल से मेरे आपके भी दिल ने बात की

फिर धड़कनों ने धड़कनों की बात को सुना,
यूं चुप्पियों में रह के भी महफ़िल ने बात की

हैरत में सिर्फ मैं ही नहीं, आप भी तो थे,
जब मेरे हक़ में इक मेरी मुश्किल ने बात की

उस पार तुम थे और मैं इस पार था मगर
साहिल से जैसे दूसरे साहिल ने बात की

खुद अपना चेहरा देख के वो कितना डर गया,
जिस वक़्त अपने-आप से क़ातिल ने बात की