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रिश्ते वफ़ा के सब से निभाकर तो देखिए / सलीम रज़ा रीवा

रिश्ते वफ़ा के सब से निभाकर तो देखिए
सारे जहाँ को अपना बनाकर तो देखिए

इसका मिलेगे अज़्र खुदा से बहुत बड़ा
भूखे को एक रोटी खिलाकर तो देखिए

खिल जाएगा खुशी से वो चेह्रा गुलाब सा
रोते हुए को आप हंसा कर तो देखिए

दुश्मन भी एक रोज़ मिलेगा वफ़ा के साथ
परचम अमाँ का हर सू उड़ाकर तो देखिए

हर राहगीर दिल से दुआ देगा आपको
इस तीरगी में शम्मां जलाकर तो देखिए

खुश्बू से महक जाएगा घर बार आपका
उजड़े हुए चमन को बसाकर तो देखिए

इक चौंदवी का चाँद नज़र आएगा “रज़ा”
जुल्फे रूखे हँसी से हटाकर तो देखिए

सलीम रज़ा रीवा 05-02-2012