रूप अनूप दई बिधि तोहि तो मान किये न सयानि कहावै ।
और सुनो यह रूप जवाहिर भाग बड़े विरलो कोई पावै ।
ठाकुर सूम के जात न कोऊ उदार सुने सब ही उठि धावै ।
दीजिये ताहि दिखाय दया करि जो चलि दूर ते देखन आवै ॥
ठाकुर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।