Last modified on 22 जुलाई 2010, at 09:13

रेशम जाल-3 / इदरीस मौहम्मद तैयब

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:13, 22 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इदरीस मौहम्मद तैयब |संग्रह=घर का पता / इदरीस मौह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उस गुलाब की कीमत ही क्या
जिसे हमारी वेदनाओं ने गँवा दिया
वे सभी गुलाब एक ऐसी लहर के क़दमों में
थके-थके आहें भरते हैं
जो अदृश्य हो जाती है
और फिर कभी नहीं लौटती
इसीलिए
उरोज के कोमल स्पन्दन
और एक देश के ज़ख़्म के बीच बँटे हुए
'ऐ उल्लास'
मेरे पास आओ
और मुझे इस रेशम-जाल से मुक्त करो ।


रचनाकाल : 21 अगस्त 2000

अंग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस