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रोड़ौ : दोय / सुनील गज्जाणी

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म्है रोड़ो
कारीगर री कळा
ठौड़ बणियौ
उण रै मन रौ
थ्यावस हुंवतौ
निरजीव नी सजीव हूं मैं
सरावणियां री घिरयोड़ी
भीड़ सूं।