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रोतों का तुम हँसाओगे अच्छा ख़याल है / मोहम्मद इरशाद

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रोतों को तुम हँसाओगे अच्छा ख़याल है
बिछड़ो को तुम मिलाओगे अच्छा ख़याल है

मुद्दत से जो अँधेरों में डूबे हुए हैं घर
उनमें दीये जलाओगे अच्छा ख़याल है

बचपन से जो नाबिने हैं देखा नहीं है कुछ
उनकों जहाँ दिखाओगे अच्छा ख़याल है

बरसों से जिनके जख़्म सब नासूर हो गये
मरहम उन्हें लगाओगे अच्छा ख़याल है

हकदार थे जो लोग वो कब के ही मर गये
हक उनको अब दिलाओगे अच्छा ख़याल है

‘इरशाद’ तुम तो जी चुके भरपूर ज़िन्दगी
जीना हमें सिखाओगे अच्छा ख़याल