भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रोप दो कुछ (छत पर प्रकाश) / शेल सिल्वरस्टीन / नीता पोरवाल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:51, 5 अप्रैल 2018 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बनाओ
एक ऊटपटाँग तस्वीर

रचो
शरारती एक कविता

गुनगुनाओ
बेतुका कोई गीत

सीटी बजाओ कंघी से
नाचो दीवाने की तरह
फलाँग जाओ रसोई का फ़र्श
रोप दो दुनिया में थोड़ा भोलापन

जो पहले
कभी किसी ने
न किया हो

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीता पोरवाल