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रोशनी / लीलाधर मंडलोई


मैं कम उजाले में भी
पढ़-लिख लेता हूं

अपने दीगर काम
मजे से निपटा लेता हूं

सिर्फ इतने जतन से
कम के लिए
कुछ रोशनी बचा लेता हूं
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