रौशन सारा घर अंदर से
लेकिन ताला है बाहर से
सो जाने तक बच्चे तरसे
तब लौटे पापा दफ़्तर से
कैसे सुस्ता सकता है वो
रिश्ते झूल रहे काँवर से
छूटी नैया दूर किनारा
गुज़रा पानी कबका सर से
अबके ‘हामिद’ ईद मनाने
खाली हाथ चला है घर से
रौशन सारा घर अंदर से
लेकिन ताला है बाहर से
सो जाने तक बच्चे तरसे
तब लौटे पापा दफ़्तर से
कैसे सुस्ता सकता है वो
रिश्ते झूल रहे काँवर से
छूटी नैया दूर किनारा
गुज़रा पानी कबका सर से
अबके ‘हामिद’ ईद मनाने
खाली हाथ चला है घर से