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लंदन नगर / रुडयार्ड किपलिंग / तरुण त्रिपाठी

ईश्वर नहीं है लंदन में,
अशक्त नीच लंदन.
कि, देखो तुम, मैंने अपनी दोस्त को खो दिया है―
खो दिया है उसे लंदन में.
मेरे जिगर की जिगरी दोस्त
खो गयी है कहीं लंदन में
तुम्हारा बकवास लंदन!

मीलों लंबी ग्रेनाइट लगी गलियाँ हैं
तुम्हारे पत्थरी लंदन में;
और लाखों लोग श्रम करते लंदन में
भीड़ भरा लंदन;
पर मैं नहीं पा सकता अपनी दोस्त को
मेरी बेचारी गुम दोस्त,
कि लंदन का यह कोलाहल और यातायात
निष्ठुर लंदन!

लंदन में ढूँढना भयानक है,
अंतहीन लंदन,
उस चेहरे को जो कभी नहीं लौटेगा―
उस एक दोस्त के चेहरे को
मेरे उस खो दिए गए, उस गुम दोस्त का चेहरा
गुम हुआ जो लंदन में.
ईश्वर नहीं है लंदन में
तुम्हारा बकवास लंदन!