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लकड़ी का टुकड़ा / भास्कर चौधुरी

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यह महज़ लकड़ी का टुकड़ा नहीं
उस बच्चे का खिलौना है
जो उसने सहेज कर रखा था
अपनी मम्मी के बैग में चुपके से छुपा दिया था
और जिसने उसके साथ मीलों लम्बा सफ़र तय किया है

लड़का करोड़पति बाप का इकलौता बेटा है
जिसके चारों ओर खिलौने के अंबार लगे हैं
टेडी बीयर, उड़ने वाला हवाई जहाज
बैट-बाल, फुटबाल-
तमाम रंगों में मौज़ूद हैं दुनिया की फेहरिस्त में शामिल कीमती चीज़ें
लेकिन बच्चे को जो सबसे पसंद है
और जिसे वह अपने तकिये के नीचे सम्भालकर रखता है
वह एक लकड़ी का टुकड़ा है

इस टुकड़े से लड़का
गुल्ली बनाता है
इसी से लड़का अपने बाप की तस्वीर पर निशाना साधता है
अपनी आया और मम्मी से छुप-छुपाकर
बाउन्ड्रीवाल के बाहर धरती पर आड़ी-तिरछी लकीरें खींचता है

लड़का
लकड़ी के टुकड़े को
अपनी जान से ज़्यादा चाहता है