Last modified on 18 दिसम्बर 2009, at 02:44

लड़की अकेली है इस वक़्त / शलभ श्रीराम सिंह

लडकी अकेली है अपने सुख में
अपने दुःख में अकेली है लडकी
अकेली है अपनी उत्तेजना और अपने आक्रोश में

अकेली है अपने संवाद में
अपनी चुप्पी में अकेली है लडकी
अकेली है अपनी हँसी में

अकेली है अपनी नीद में
अपने सपनों में अकेली है लडकी
अकेली है अपनी सुबहों में

अकेली है अपनी दोपहरों में
अपनी शामों में अकेली है लडकी
अकेली-अकेली है अपनी किताबों में

लडकी अकेली है अपनी तन्हाइयों में
अपनी जम्हाइयों में अकेली है लडकी
अकेली है अपनी अंगड़ाइयों में
लडकी अकेली है इस वक़्त


रचनाकाल : 1992 विदिशा

शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रवीन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।