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लड़की / रणविजय सिंह सत्यकेतु

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लड़की और नसीहत साथ-साथ पैदा होती हैं
ओंकार के रास्ते पर पत्थर रख
लड़की अपने लिए नकार लेकर आती है
उसका असली दोस्त उसके आँसू होते हैं
जो आमरण साथ निभाते हैं
उसे घड़ी-घड़ी दी जाती है
पिता की पगड़ी की दुहाई
माँ की ममता की क़सम
भाई के भविष्य का वास्ता
उसे सिखाया जाता है
झाड़ू मारना
आँगन लीपना
बर्तन माँजना
चूल्हा जलाना
गोबर पाथना
धीरे हंसना
मौक़े पर मुस्काना
नज़र नीचे रखना
पैर दबाकर धीरे चलना
सबसे पीछे बचा-खुचा खाना
परिवार और समाज के लिए
उसका रोना महत्वहीन होता है
और खोना कलंक
उसकी चाहत अशुभ होती है
और पसन्द खतरनाक
इसलिए गर्भनाल में ही बिछा दिया जाता है
उसके लिए नकार
और वह पैदा होती है नसीहत के साथ ।