भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी / ग़ालिब
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:22, 19 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ग़ालिब |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poe...' के साथ नया पन्ना बनाया)
लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी
क़यामत कुश्त-ए-लाल-ए-बुताँ का ख़्वाब-ए-संगीं है
बयाबान-ए-फ़ना है बाद-ए-सहरा-ए-तलब ग़ालिब
पसीना-तौसन-ए-हिम्मत तो सैल-ए-ख़ाना-ए-जीं है