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लाख चक्कर हों सुराही के, हमारा क्या है / गुलाब खंडेलवाल
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22:02, 3 जुलाई 2011
हम तो प्यासे रहे पानी के, हमारा क्या है!
उनकी महफ़िल है, शराब उनकी
है
, प्याला उनका
हम तो दो घूँट चले पीके, हमारा क्या है!
उड़ रही है तेरे
जूडे
जूड़े
की जो ख़ुशबू हर ओर
एक सिवा दिल की तसल्ली के, हमारा क्या है!
Vibhajhalani
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