Last modified on 24 जुलाई 2009, at 23:05

लाठी के लिए कविता / हो ची मिन्ह

रही तनी और अनम्य
जब तक रही मेरे साथ

लिए हाथों में हाथ
कितने मौसम
कुहरे भरे और तूफ़ानी
बिताए हमने साथ-साथ

भुगतेगा उचक्का वह
जिसने किया हमें अलग
सालेगी बरसों बरस
टीस यह लासानी