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लालन उठ जा भोर हो गयी / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

लालन उठ जा भोर हो गयी
गली गली गुलजार हो गयी
धो ले झट निंदराई आँखें
कमल कली-सी भीगी पांखे
कीची-कीची कउआ खाय
दूध मलाई लालन खाय
सूर्य देवता आये हैं
रथ पर चढ़ कर आये हैं
दिन भर अब ये यहीं रहेंगे
जग को रोशन किये रहेगे
शाम ढले ही घर जायेंगे
तब ये माँ के पास रहेंगे
भेजेगी कल पास हमारे
उजले होंगे सब घर द्वारे