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लाल किला / सुरेश विमल

आज फूल की तरह खिला है
लाल क़िला जी लाल किला।

दूर-दूर से बना टोलियाँ
लोग बहुत से आए हैं
देख देख कर सज धज इसकी
फूले नहीं समाए हैं।

हंसकर सबसे गले मिला है
लाल क़िला जी लाल किला।

जन गण मन का गीत
सुनाते मिलकर नन्हे साथी
अहा बैंड बाजों की सरगम
हमको बड़ी लुभाती।

जयकारों से आज हिला है
लाल क़िला जी लाल किला।