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लाल बहादुर शास्त्री / नाथ कवि

हाय गजब कैसी करी ये दुश्मन नें चाल।
ताशकन्द में उठ गया भारत माँ कौ लाल॥
भारत माँ कौ लाल वात मित्रन ने कीनी।
घर में लियौ बुलाय, धौंस बहुतेरी दीना॥
जबरन सन्धि कराया कै, दस्तखत लिये कराय।
हाय हमारौ शास्त्री, मुख न दिखायौ आय॥