लीक से हटकर अलग अंदाज़ की बातें करें
भूलकर गुज़रे ज़माने आज की बातें करें
वक्त बीता लौटकर वापस कभी आता नहीं
है यही बेहतर नए अंदाज़ की बातें करें
आदमीयत से बड़ा जज्बा कोई होता नहीं
दिल को छू जाए उसी आवाज़ की बातें करें
आस्माँ तक का सफ़र मुश्किल है नामुमकिन नहीं
हौसले के साथ गर पर्वाज़ की बातें करें
प्यार का पैगाम देना आदमी का फर्ज़ है
छोड़िए उनको जो नख़रो-नाज़ की बातें करें
पाँव मंज़िल की तरफ़ जब उठ गए तो खौफ़ क्या
बुजदिलों को छोड़कर जाँबाज़ की बातें करें
हर किसी से ग़म – खुशी भी बाँटना अच्छा नहीं
जो समझता हो उसी से राज़ की बातें करें
खो चुका है आदमी जब आजकल शर्मो-हया
तब बदलते दौर में कुछ लाज की बातें करें