भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लीली लेमड़ी रे, लीलो नागरवल नो छोड़ /गुजराती

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लीली लेमड़ी रे, लीलो नागरवल नो छोड़
हे परभू परोड़ ना रे
म्हारे घर उतारा करता जाओ
उतारो नहीं करूँ रे
के म्हारे घर सीता जूवे वाट
सीता एकली रे
के जूवे राम-लखमण नी वाट

लीली लेमड़ी रे, लीलो नागरवल नो छोड़
हे परभू परोड़ ना रे
म्हारे घर दातन करता जाओ
दातन नहीं करूँ रे
के म्हारे घर सीता जूवे वाट
सीता एकली रे
के जूवे राम-लखमण नी वाट

लीली लेमड़ी रे, लीलो नागरवल नो छोड़
हे परभू परोड़ ना रे
म्हारे घर नहावन करता जाओ
नहावन नहीं करूँ रे
के म्हारे घर सीता जूवे वाट
सीता एकली रे
के जूवे राम-लखमण नी वाट

लीली लेमड़ी रे, लीलो नागरवल नो छोड़
हे परभू परोड़ ना रे
म्हारे घर भोजन करता जाओ
भोजन नहीं करूँ रे
के म्हारे घर सीता जूवे वाट
सीता एकली रे
के जूवे राम-लखमण नी वाट

लीली लेमड़ी रे, लीलो नागरवल नो छोड़
हे परभू परोड़ ना रे
म्हारे घर परोधन करता जाओ
परोधन नहीं करूँ रे
के म्हारे घर सीता जूवे वाट
सीता एकली रे
के जूवे राम-लखमण नी वाट