भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लुप्तोपमा / अनामिका

Kavita Kosh से
Kalpdeep (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:49, 29 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनामिका |संग्रह= अनुष्टुप / अनामि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


{{KKRachna
|रचनाकार=अनामिका
|संग्रह= अनुष्टुप / अनामिका
}}



उस उत्साह की सोचो

जिससे कि लोग

फ़रमाइशी चिट्ठियाँ लिखते हैं विविध भारती को!

सोचो उन नन्हे-नन्हे

क्रान्तिबीजों के बारे में

संपादक के नाम की चिठ्ठियों में

जो अँकुरते हैं बस पत्ती-भर!

नाराज़गी की एक लुप्तप्राय प्रजाति के बारे में

सोचो तो

सोचो उन मीठे उलाहनों की

जो लोग देते थे

मिले हुए अर्सा हो जाने पर!

तूफ़ान

प्यालों में भी

मचते हैं जो

वे ऐसे उद्दीप्त होते हैं

जैसे चुम्बन

नींद से माती आँखों पर

भोर के पहले पहर!

</poem>