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लेके माज़ी को जो हाल आया तो दिल काँप गया / नवाज़ देवबंदी
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लेके माज़ी को जो हाल आया तो दिल काँप गया
जब कभी उनका ख़याल आया तो दिल काँप गया
ऐसा तोड़ा था मुहब्बत में किसी ने दिल को
जब किसी शीशे में बाल आया तो दिल काँप गया
सर बलंदी पे तो मग़रूर थे हम भी लेकिन
चढ़ते सूरज पे ज़वाल आया तो दिल काँप गया
बदनज़र उठने ही वाली थी किसी की जानिब
अपने बेटी का ख़याल आया तो दिल काँप गया