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वक़्त -१ / गुलज़ार
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16:03, 21 सितम्बर 2009
मैं उड़ते हुए पंछियों को डराता हुआ
कुचलता हुआ घास की कलगियाँ
गिरता
गिराता
हुआ गर्दनें इन दरख़्तों की
,
छुपता हुआ
जिनके पीछे से
निकला चला जा रहा था वह सूरज
Shrddha
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