http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%87_/_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5_%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9&feed=atom&action=historyवर्षा की बूंदे / श्रीनाथ सिंह - अवतरण इतिहास2024-03-28T22:48:19Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%87_/_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5_%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9&diff=206414&oldid=prevSharda suman: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीनाथ सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2016-07-03T20:11:52Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीनाथ सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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|रचनाकार=श्रीनाथ सिंह<br />
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<poem><br />
बड़ी बड़ी बूंदें पड़ती हैं,<br />
बड़ा मजा है बड़ा मजा।<br />
जल्दी निकलो घर से बाहर,<br />
बड़ा मजा है बड़ा मजा।<br />
दल के दल दौड़े आते हैं,<br />
देखो बादल के कैसे।<br />
छुट्टी का घंटा बजते ही,<br />
भगते हैं लड़के जैसे।<br />
डाली डाली पर पेड़ों की,<br />
नाच रही है हरियाली।<br />
खुश हो मुन्नी बजा रही है,<br />
अपनी छत पर से ताली।<br />
पूंछ उठा कर दौड़ रही हैं,<br />
घीसू की तीनों गायें।<br />
इस चबूतरे पर चढ़ आओ,<br />
यहाँ भी न वे आ जायें।<br />
कैसी ठंडी हवा बही है,<br />
कैसा समय निराला है।<br />
देखो उस ऊँचे पीपल में,<br />
किसने झूला डाला है।<br />
सूरज का न पता चलता है,<br />
कैसा बढ़ा अँधेरा है।<br />
खूब घुमड़ कर आज घनो ने,<br />
आसमान को घेरा है।<br />
अरे सुनो तो कैसी प्यारी,<br />
बोली बोल रहा है मोर।<br />
आओ हम भी दौड़ चलें अब,<br />
फौरन उसी बाग की ओर।<br />
ओहो भाई भागो भागो,<br />
लगा बरसने पानी अब।<br />
पेड़ तले बच नहीं सकेंगे,<br />
कपड़े भीग जायेंगे सब।<br />
</poem></div>Sharda suman