भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वर्षा गीत (कविता का अंश) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:37, 31 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वर्षा गीत (कविता का अंश)
 
इस गगन में मुक्त स्वर से
रूदन कर मिटते हुये
खोजते प्रति शैल में प्रिय
चंचला दीपक लिये
तुम नहीं जलधर अकेले।
(वर्षा गीत कविता का अंश)