Last modified on 31 मार्च 2011, at 18:43

वर्षा / महेन्द्र भटनागर

सर-सर करती चले हवा
पानी बरसे झम-झम-झम !
.
आगे-आगे
गरमी भागे

हँस-हँस गाने गाएँ हम !
सर-सर करती चले हवा
पानी बरसे झम-झम-झम
.
मेंढ़क बोलें
पंछी डोलें

बादल गरजें; जैसे बम !
सर-सर करती चले हवा
पानी बरसे झम-झम-झम !
.
नाव चलाएँ
ख़ूब नहाएँ

आओ कूदें धम्मक - धम !
सर-सर करती चले हवा
पानी बरसे झम-झम-झम !