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वर्षों-दो वर्षों में यह इतिहास उगा है / राजेन्द्र गौतम

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वर्षों-दो वर्षों में
यह इतिहास उगा है
फैलेगा, फूलेगा ।

तक्षशिला को ढो
लाना है नालन्दा
सबका क़द छीलें
चले हमारा रन्दा
वर्षों-दो वर्षों में
यह सन्त्रास उगा है
फैलेगा, फूलेगा ।

नाक कटेगी अब
इसकी, उसकी, सबकी
कोने में दुबकी
क्यों सुबकी नागमती
वर्षों-दो वर्षों में
यह उपहास उगा है
फैलेगा, फूलेगा ।

सन् सत्ताइस को
लाएँ सत्तावन में
फ़र्क नहीं पड़ता
तब जन्में, अब जन्में
वर्षों-दो वर्षों में
यह विश्वास उगा है
फैलेगा, फूलेगा ।

आकाश अकड़ता
थूकें इस पर जीभर
आँख उठाता तू
करदें जीना दूभर
वर्षों-दो वर्षों में
नया विकास उगा है
फैलेगा, फूलेगा ।