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"वसंत में बच्चे / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर

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19:15, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण

अब नया चलन चला है जिसमे
फरवरी में ही परीक्षा हो
अगली कक्षा के लिए स्कूल
मार्च में खुलने लगे हैं
इसलिए जब गर्मियों की छुट्टियाँ होती हैं
बच्चों के पास यह मज़ा नहीं रहता कि
छुट्टियों के बाद जब खुलेगा स्कूल
वे अगली कक्षा में जाएँगे
वसंत के मौसम में ही अगली कक्षा में बैठने लगते है
जो हालाँकि इस लिहाज से ठीक भी है क़ि
इसी मौसम में बहुत कुछ नया
पेड़ों और पक्षियों के साथ भी होता है
 
गर्मियों की शुरुआत की सुबह
नयी चुनौती के लिए तैयार हो रहे होते हैं
बच्चे पेड़ और आसमान
बच्चे कक्षा के भीतर जाते हुए
उतने ही ताज़े लगते हैं
जितने नयी पत्तियाँ पहने हुए पेड़
हालाँकि अभी छोटी ही होती हैं वे
इसलिए उन्हें पहन कर
निर्दोष नग्न ही दिखाई देते हैं

रेसिस में खेलते हुए बच्चे
उतने ही सावधान लगते हैं
जितने पक्षी
धूप से बच कर
तिनके इकट्ठा करते हुए
मासूम और जिम्मेदार
एक साथ दिखाई देते हैं

इस मौसम का यह भी मज़ा है दिलचस्प
ठण्ड विदा हो जाती है
इसलिए
धौल-धप्पा करने,गलबहियाँ डालने
एक दूसरे को छूने बतियाने की स्वाभाविक सुविधा हो जाती है

दुनिया के बहुत से आश्चर्यजनक समाचार
इसी मौसम में जन्म लेते है
जिन्हें एक-दूसरे तक जल्दी पहुँचाना
बहुत ज़रूरी होता है
कहीं मधुमक्खी का छत्ता लगा हो
देखी गई हो अलग रंग की
रोशनदान पर चढ़ कर देखा गया चिड़िया का अंडा
उड़ना सीखने की कोशिश करता नन्हा चिरौटा
फिर फूल भी तो इस मौसम में कितने ही रंग के
अजब ढंग के खिलते हैं
इनके बारे में बात करने के लिहाज से भी
यही मौसम सबसे अनुकूल होता है

छोटे कस्बों में बदस्तूर
डाक-टिकट
माचिस क़ि डिब्बियाँ
अनेक तरह की दिलचस्प दौलत
इकटठा करने का समय होता है यह
इस समय ठण्ड और गर्मी दोनों इतनी नहीं होती
कि बच्चों के बाहर निकलने पर ज्यादा रोक-टोक की जाए

नयी किताबों पर नए कवर
क़ी तरह
बच्चों के सपनों पर भी नया रंग चढ़ता है
उड़ने वाली साईकिल और रंगीन रेलगाड़ी
देखने का समय यह
अक्सर बच्चों के पंख भी उग आते है

पहले के वसंत से अलग आजकल
बच्चे परेशान भी देखे जाते है
हालाँकि इसमें माँ-बाप या शिक्षा मंत्री की
किसी योजना का हाथ होता है
वसंत के पास बच्चों को परेशान करने क़ी
कोई योजना नहीं होती