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"वहीं जो पाँव ठिठक जाय, क्या करे कोई / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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वहीं जो पाँव ठिठक जाय, क्या करे कोई! | वहीं जो पाँव ठिठक जाय, क्या करे कोई! | ||
− | नज़र जो | + | नज़र जो ख़ुद ही बहक जाय, क्या करे कोई! |
− | चला तो | + | चला तो बाँधके जीवन में उमीदों की गाँठ |
मगर जो डोर सरक जाय, क्या करे कोई! | मगर जो डोर सरक जाय, क्या करे कोई! | ||
01:34, 23 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
वहीं जो पाँव ठिठक जाय, क्या करे कोई!
नज़र जो ख़ुद ही बहक जाय, क्या करे कोई!
चला तो बाँधके जीवन में उमीदों की गाँठ
मगर जो डोर सरक जाय, क्या करे कोई!
हज़ार प्यार चकोरी को चाँद से है, मगर
घटा जो चाँद को ढँक जाय, क्या करे कोई!
लटों को उलझी हुई ज़िन्दगी की सुलझाते
किसीका हाथ जो थक जाय, क्या करे कोई!
गुलाब छिपके भी रह लेंगे डालियों में मगर
नज़र जो उनकी अटक जाय, क्या करे कोई!