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वही प्यारा है जिसका हुस्न हर दिल को हिलाता हो / बिन्दु जी

वही प्यारा है जिसका हुस्न हर दिल को हिलाता हो,
वही है दूर जौहर दिल की कलियों को हिलाता हो।
उसे हम इश्क़ क्या समझें जो दिल को तोड़ ही डाले,
वही है इश्क़ जो बेदर्द दिल से दिल मिलाता हो।
वो कैसा ग़म जो करवाए शिकायत दिल से दिलवर को,
वही ग़म है जो दिल को याद दिलवर की दिलाता हो।
असर वो क्या निगाहों का जिनपर मर मिटे आशिक़,
निगाहों का असर यह है जो मरते को जिलाता हो।
वो कैसा ‘बिन्दु’ आँसू का जो निकले दिल को तड़पाकर,
वो है आँसू जो दिल को सब्र का प्याला पिलाता हो।