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वही लापता है जिसे था पता / चाँद शुक्ला हदियाबादी

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वही लापता है जिसे था पता
बताता भी कोई नहीं रास्ता

नहीं अपने घर का मुझे कुछ पता
अगर तुझको मालूम है तो बता

बदन पे न था मेरे अच्छा लिबास
मुझे शह्र में कोई क्यों पूछता

सुनाते हो क्यों मुझको इंजील तुम
मुझे इब्ने-मरियम का दे दो पता

हैं मजबूर हालात से "चाँद" सब
न तेरी ख़ता है न मेरी ख़ता