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"विदा करने निकली जब माता / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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'हमने बचपन साथ बिताये
 
'हमने बचपन साथ बिताये
ब्याह हुआ संग-संग पति पाये
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ब्याह हुआ सँग-सँग पति पाये
सीता को ही दुःख दिखलाये
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सीता को ही दुख दिखलाये
 
                       क्यों नित नये विधाता !  
 
                       क्यों नित नये विधाता !  
 
   
 
   
'कोमल चित थे जेठ हमारे
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'कोमल-चित् थे जेठ हमारे
 
बंधु खड़े क्यों चुप्पी धारे!
 
बंधु खड़े क्यों चुप्पी धारे!
 
छिपे कहाँ वे ऋषि मुनि सारे!
 
छिपे कहाँ वे ऋषि मुनि सारे!
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विदा करने निकली जब माता
 
विदा करने निकली जब माता
पग से लिपट रो पड़ी बहुएँ, 'न्याय यही कहलाता ?  
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पग से लिपट रो पड़ी बहुएँ, 'न्याय यही कहलाता ?   
   
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02:59, 22 जुलाई 2011 का अवतरण


विदा करने निकली जब माता
पग से लिपट रो पड़ी बहुएँ, 'न्याय यही कहलाता ?
  
'हमने बचपन साथ बिताये
ब्याह हुआ सँग-सँग पति पाये
सीता को ही दुख दिखलाये
                      क्यों नित नये विधाता !
 
'कोमल-चित् थे जेठ हमारे
बंधु खड़े क्यों चुप्पी धारे!
छिपे कहाँ वे ऋषि मुनि सारे!
                          कोई तो समझाता !

'तब वन में था बल स्वामी का
सिर पर था न अयश का टीका
अब तो छूट रहा भगिनी का
                        इस घर से ही नाता '

विदा करने निकली जब माता
पग से लिपट रो पड़ी बहुएँ, 'न्याय यही कहलाता ?