Last modified on 25 दिसम्बर 2010, at 22:09

विदा की कविता / एज़रा पाउंड

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:09, 25 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एज़रा पाउंड |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> हलकी धूल पर हो र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हलकी धूल पर हो रही है हलकी बारिश
सराय के आँगन में सरो के पेड़
लगातार, हरे, और हरे होते जाएँगे
लेकिन आप, श्रीमान, विदा होने से पहले
मदिरा ले लें
क्योंकि आपके गिर्द कोई मित्र नहीं रह जाएगा
जब पहुँचेंगे आप गो के द्वारों के पास

(रिहाकू या ओगाकित्सू)

अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीलाभ