भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विद्या / मुंशी रहमान खान

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:52, 13 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुंशी रहमान खान |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पढ़ियो विद्या बाल तुम मन चित दे धर ध्‍यान।
मिलि है पदवी धर्म धन दिन दिन बाढ़ै ज्ञान।।
दिन दिन बाढै़ ज्ञान मान्‍य यश जग में होवै।
नहीं पढै़ जो बाल शठ सब धन अपना खोवै।।
कहैं रहमान सीख यह नीकी निशिदिन उर में धरियो।
रहियो सुखी सर्वदा जग में दुख उठाय कर पढ़ियो।।