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विनती / मन्नन द्विवेदी गजपुरी

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विनती सुन लो हे भगवान,
हम सब बालक हैं नादान।
विद्या-बुद्धि नहीं कुछ पास,
हमें बना लो अपना दास।
बुरे काम से हमें बचाना,
खूब पढ़ाना, खूब लिखाना।
हमें सहारा देते रहना,
खबर हमारी लेते रहना।
तुमको शीश नवाते हैं हम,
विद्या पढ़ने जाते हैं हम।