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विपरीत रसायन / अजन्ता देव

स्त्रियाँ नहीं बन सकतीं शराबी
यह कहा होगा कवि ने
मेरे हाथ से पीकर
अगर बन जातीं स्त्रियाँ शराबी
तो पिलाता कौन

मेरे प्याले भरे हैं मद से
केसर-कस्तूरी झलझला रही है
वैदूर्यमणि-सी
कीमियागर की तरह
मैं मिला रही हूँ
दो विपरीत रसायन
विस्फोट होने को है
मैं प्रतीक्षा करूंगी तुम्हारे डगमगाने की ।