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विलोम / सिद्धेश्वर सिंह

मैं
इस गली के नुक्क्कड़ पर लगा
एक उदास लैम्प पोस्ट ।
अब मैं रोशनी बाँटता नहीं
रोशनी पीता हूँ
और
बे-वज़ह ही
दिन को रात बनाने की
असफल कोशिश में लिप्त रहता हूँ ।