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|रचनाकार=जयशंकर प्रसाद
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{{KKPrasiddhRachna}}<Poempoem>
हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती