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भारत धारत धीर धीर का धीरज छूटे / शिवदीन राम जोशी
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17:48, 20 जनवरी 2012
देश भक्त बलवान डरें क्यों चौडे लूटे।
खद्दर चद्दर ओढ यही है बख्तर रण का,
धन्य
शिरोमण्ी
शिरोमणी
देश हो गया अग कण-कण का।
दिन में अरु दोपहर में लूटे आधी रात,
कौन सुने शिवदीन अब दुःखी जनों की बात।
राम गुण गायरे।
</poem>
Kailash Pareek
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