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Kavita Kosh से
फाड़ सकता हे जो नासापुटों तक को।
डरातीं नहीं खुशबुएं खुशबुएँ सड़ांध सी
पर डरतीं भी नहीं।
आ गईं अगर लुटाने पर
तो नहीं रह पाएगा अछूता एक भी कोना खुशबुओं से।
उनके पास और है भी क्या सिवा खुशबुएं खुशबुएँ लुटाने के!
बहुत कठिन होगा करना युद्ध खुशबुओं से
बहुत कठिन होगा अगर आ गईं मोरचे पर खुशबुएं।खुशबुएँ।
और किसी न किसी अन्तराल पर
हमें एकसार करती हैं, हिलाती हैं।
गनीमत है कि अभी अनशन से दूर हैं हमारी खुशबुएं।खुशबुएँ।