Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राज़िक़ अंसारी }} {{KKCatGhazal}} <poem> ख़मोशि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राज़िक़ अंसारी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
ख़मोशियों में सवाल क्या है कोई न समझा
हमें है क्या ग़म मलाल क्या है कोई न समझा

सभी ने इक एक रंग अपना बना लिया है
मगर ये रंगों का जाल क्या है कोई न समझा

जवाब देने की इतनी जल्दी पड़ी थी सब को
सवाल ये है सवाल क्या है कोई न समझा

पता था सब को सियासी मोहरे बिछे हुए हैं
मगर सियासत की चाल क्या है कोई न समझा

किया था चेहरा शनास होने का सब ने दावा
मगर मेरे दिल का हाल क्या है कोई न समझा
</poem>