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बद्दुआएँ जो बाँटें
दग्ध ही होंगे।
112पलकें चूमेंवातायन से झाँकेभोर किरन।113पुण्य सलिलाहोगी जाह्नवी मानातुम भी तो हो !114निर्मलमना!रूप का हो सागरभाव- ऋचा हो।115भाव-सृष्टि होसुधा -वृष्टि करतीमन में बसो !116प्राणों की लयजीवन संगीत होमनमीत हो।117चन्दनमनमलयानिल साँसेंअंक लिपटें।118नत पलकेंरूप पिए चाँदनीचूम अलकें।
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